इंडो-फ्रांसीसी युद्ध

ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेश में संघर्ष का मानचित्र

1754-1763 का इंडो-फ्रांसीसी युद्ध सात साल के युद्ध का रंगमंच था, जिसमें ब्रिटिश और फ्रांसीसी उपनिवेश आमने-सामने थे। इस युद्ध में भारतीयों ने फ्रांसीसी और ब्रिटिश दोनों पक्षों को सहयोग दिया, युद्ध में महत्वपूर्ण रणनीतिक भूमिका निभाई।[1]

ब्रिटिश उपनिवेशों की आबादी 20 लाख थी, जबकि फ्रांसीसी केवल 60,000 की संख्या में थे। फ्रांसीसी अपनी सीमित संख्या के कारण मुख्य रूप से स्थानीय अमेरिकी जनजातियों के सहयोग पर निर्भर थे।[2] यह संघर्ष उपनिवेशीय सत्ता विस्तार का प्रयास था, जिसमें दोनों पक्षों ने अपने-अपने आदिवासी सहयोगियों की मदद से लड़ाई लड़ी। फ्रांसीसी कनाडाई इसे गुएरे डे ला कॉन्क्वेट ('विजय का युद्ध') कहते हैं,

एतिहासिक पृष्ठभूमि

1756 में, ब्रिटेन ने फ्रांस पर युद्ध की घोषणा की, जिससे सात साल का वैश्विक युद्ध शुरू हुआ। फ्रांसीसी और भारतीय युद्ध को अक्सर इस संघर्ष का अमेरिकी रंगमंच माना जाता है। हालांकि, संयुक्त राज्य अमेरिका में इसे एक अलग, स्वतंत्र संघर्ष के रूप में देखा गया, जो किसी भी यूरोपीय युद्ध से संबंधित नहीं था। यह क्षेत्रीय नियंत्रण और उपनिवेशीय सत्ता के लिए लड़ा गया एक महत्वपूर्ण युद्ध था।

ब्रिटिश उपनिवेशवादियों को इरोक्वाइस, कैटावबा और चेरोकी जनजातियों का समर्थन मिला, जबकि फ्रांसीसी उपनिवेशवादियों को वाबानाकी संघ के सदस्यों, अबेनाकी, मिकमैक, अल्गोंक्विन, लेनापे, ओजिब्वा, ओटावा, शॉनी और वायंडोट (ह्यूरन) जनजातियों का समर्थन प्राप्त था। यह युद्ध मुख्य रूप से फ्रांस और ब्रिटिश उपनिवेशों के बीच की सीमाओं पर लड़ा गया, जिसमें वर्जीनिया से लेकर न्यूफ़ाउंडलैंड तक का क्षेत्र शामिल था। युद्ध की शुरुआत एलेघेनी नदी और मोनोंघेला नदी के संगम, जिसे ओहियो का संगम कहा जाता था, पर नियंत्रण को लेकर विवाद हुआ था।

संदर्भ

सन्दर्भ की झलक

  1. "इंडो-फ्रांसीसी युद्ध". अमेरिकी इतिहास यूएसए (अंग्रेज़ी में). मूल से 29 अक्तूबर 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2021-07-07.
  2. वॉल्टन, जी॰ एम॰; रोकऑफ़, एच॰ (2010). अमेरिकी अर्थव्यवस्था का इतिहास. साउथ-वेस्टर्न. पृ॰ 29. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-4390-3752-2.