कज़ाख साम्राज्य
कज़ाख ख़ानत Қазақ Хандығы | |
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1456–1847 | |
राजधानी | विभिन्न (मौसमी राजधानी) |
प्रचलित भाषाएँ | किपचाक तुर्की, कज़ाख |
सरकार | ख़ानत (वंशानुगत राजतंत्र) |
• ख़ान | करी ख़ान (प्रथम शासक) |
इतिहास | |
• स्थापना | 1456 |
• रूसी अधीनता | 1847 |
अब जिस देश का हिस्सा है | Kazakhstan Russia Uzbekistan China |
कज़ाख ख़ानत की स्थापना 15वीं शताब्दी में हुई, जब चंगेज़ ख़ान के वंशज करी ख़ान और जानीबेक ख़ान ने शैबानी उज़्बेक शासक अबू-अल-ख़ैर ख़ान के खिलाफ विद्रोह किया। 1468 में अबू-अल-ख़ैर की मृत्यु के बाद, इन कज़ाख नेताओं ने उत्तरी स्तेपी पर अपना प्रभुत्व स्थापित कर लिया। 16वीं शताब्दी की शुरुआत तक, कज़ाख जनजातियाँ व्यापक रूप से फैल चुकी थीं, और उन्हें उज़्बेकों से अलग एक पहचान मिल गई, जिसमें सिर दरिया नदी विभाजन रेखा के रूप में काम कर रही थी।
कज़ाख ख़ानत प्रारंभ में शक्तिशाली और संगठित दिखी, लेकिन यह एक नाजुक सत्ता थी। शासन पर चंगेज़ी मूल के खान का अधिकार था, परंतु सत्ता की पुष्टि के लिए कुलीनों की सहमति आवश्यक थी। विभिन्न सुल्तानों और सरदारों के बीच आंतरिक प्रतिस्पर्धा के कारण शासन संरचना में क्षेत्रीय स्वायत्तता प्रबल रही।
प्रमुख ख़ान और प्रशासनिक ढांचा
कज़ाख ख़ानत का प्रशासन खानाबदोश प्रणाली पर आधारित था, जहाँ मौसमी रूप से राजधानी स्थानांतरित की जाती थी। कज़ाख समाज तीन प्रमुख समूहों (हॉर्ड्स) में विभाजित था – ग्रेट होर्ड (उलु जुज़), मिडल होर्ड (ओर्ता जुज़), और लिटिल होर्ड (किशी जुज़)। प्रत्येक जुज़ का नेतृत्व एक चंगेज़ी वंश के ख़ान द्वारा किया जाता था।[1]
इस्लाम का प्रभाव बढ़ने के बावजूद, कज़ाख समाज में इसकी भूमिका सीमित थी और यह प्रशासनिक एकता का कारक नहीं बन सका। स्थानीय बिय और बटीर (क्षत्रिय योद्धा) स्वायत्त रूप से अपने क्षेत्रों का संचालन करते थे।[2]
युद्ध और विदेशी संबंध
16वीं से 18वीं शताब्दी के दौरान, कज़ाख ख़ानत को लगातार बाहरी आक्रमणों का सामना करना पड़ा। 1680 से 1718 तक शासन करने वाले तौके ख़ान के समय में, ओइरातों (ज़़ुंगर मंगोलों) के आक्रमणों की शुरुआत हुई। ज़़ुंगरों ने 1723 में कज़ाखों पर एक घातक आक्रमण किया, जिसे "ग्रेट डिज़ास्टर" (अलाकोल आपदा) के रूप में याद किया जाता है।[2]
18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में, रूसी साम्राज्य ने कज़ाख क्षेत्रों में अपने किले स्थापित करने शुरू किए। कज़ाख ख़ानत की तीनों जुज़ धीरे-धीरे रूसी प्रभाव में आ गईं। रूसी शासन ने स्थानीय व्यापार और कृषि क्षेत्रों में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया, जिससे कज़ाख स्वायत्तता कमजोर होने लगी।[3]
अंतिम पतन और रूसी अधीनता
19वीं शताब्दी तक, कज़ाख ख़ानत का अधिकांश हिस्सा रूसी नियंत्रण में आ चुका था। 1841 में केनेसारी ख़ान ने रूसी आधिपत्य के खिलाफ विद्रोह किया, लेकिन 1847 में उनकी हार के साथ कज़ाख ख़ानत का अंत हो गया। इसके बाद, कज़ाख क्षेत्र को औपचारिक रूप से रूसी साम्राज्य में मिला लिया गया।[4]
निष्कर्ष
कज़ाख ख़ानत मध्य एशिया के खानाबदोश साम्राज्यों में से एक महत्वपूर्ण शक्ति थी। यह स्टेपी इलाकों में उभरती हुई इस्लामी और खानाबदोश परंपराओं का मिश्रण था। लेकिन आंतरिक विभाजन और बाहरी आक्रमणों के कारण यह धीरे-धीरे कमजोर हो गया और अंततः रूसी साम्राज्य का हिस्सा बन गया। आज कज़ाखस्तान के इतिहास में यह ख़ानत एक गौरवशाली अतीत का प्रतीक बनी हुई है।[1]
संदर्भ
सन्दर्भ की झलक
- ↑ अ आ Lazzerini, Edward J. (2016), "Kazakh Khanate", The Encyclopedia of Empire (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–2, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-45507-4, डीओआइ:10.1002/9781118455074.wbeoe303, अभिगमन तिथि 2025-01-25
- ↑ अ आ Lee, Joo-Yup (2019-04-26), "The Kazakh Khanate", Oxford Research Encyclopedia of Asian History (अंग्रेज़ी में), आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-19-027772-7, डीओआइ:10.1093/acrefore/9780190277727.001.0001/acrefore-9780190277727-e-60, अभिगमन तिथि 2025-01-25
- ↑ Jayaraj, Deepak (2018). "KAZAKH NOMADISM AND THE RISE OF KAZAKH KHANATE IN THE 16th CENTURY". Proceedings of the Indian History Congress. 79: 676–684. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2249-1937.
- ↑ "Great Horde | Kazak khanate | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-25.