तार

ओवरहेड पावर केबलिंग।

तार (wire) धातु की एक लचीली बेलनाकार पट्टी होती है। तार का निर्माण सामान्यतः ठप्पा अथवा ऐसी प्लेट में स्थित एक छिद्र से धातु को निकालते हुये किया जाता है। तार की गेज विभिन्न मानक आकार में मिलती है जिसे विभिन्न गेज संख्या अथवा पार-काट क्षेत्र के पदों में लिखा जाता है।

तार का उपयोग अक्सर तार की रस्सी के रूप में यांत्रिक भार को वहन करने के लिए किया जाता है। विद्युत और दूरसंचार संकेतों में विद्युत केबल को तार कहा जाता है जिसमें एक तार का ठोस बाहरी आवरण होता है और अंदर अलग-अलग किस्म के वेणियाँ होती हैं।

आम तौर पर बेलनाकार ज्यामिति के स्थान पर तार को वर्गकार, षटकोणीय, चपटा आयताकार अथवा अन्य काट क्षेत्रों वाला भी बनाया जाता है जिनका उद्देश्य या तो सजावटी उद्देश्यों के लिए या तकनीकी उदेश्यों के लिए उच्च आवृत्ति वाले लाउडस्पीकर की ध्वनि कुण्डलियों में उपयोग किया जाता है। किनारों पर कुण्डलीनुमा जंजीर जैसा तार विशिष्ट चपटे तारों से बनाये जाते हैं।[1]

इतिहास

प्राचीन काल में आभूषणों में अक्सर जंजीर और सजावट के रूप में बड़ी संख्या में तार होते थे। इन तारों को सटीक रूप से बनाया जाता था और सम्भवतः इन्हें उन्नत तकनीकी के स्थान पर उचित साधनों से निर्मित किया गया होगा। कुछ स्थितियों में धातु की चद्दर से काटे हुये पट्टियों को पत्थरों के मध्य दबाकर छिद्रों से गुजारकर तार का रूप दिया जाता था। इससे पट्टियाँ पतली नलिका के रूप में वृत्ताकार रूप ले लेती थी। यह तकनीक मिस्र में दूसरे राजवंश (ल. 2890[2]) द्वारा काम में ली जाती थी। दूसरी सदी ईसापूर्व के मध्य से आभूषणों में सोने के तार लगे मिलते थे।

सन्दर्भ

  1. Swiger Coil Systems. "Edgewound Coils". Swiger Coil Systems, A Wabtec Company. मूल से 19 दिसम्बर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जनवरी 2011.
  2. Shaw, Ian, संपा॰ (2000). The Oxford History of Ancient Egypt. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस. पृ॰ 480. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-19-815034-2.