दक्षिण एशियाई पाषाण युग
दक्षिण एशियाई पाषाण युग प्रागैतिहासिक काल के उस समय को कहते हैं जिसकी शुरूआत पुरापाषाण से होकर नवपाषाण तक होती है। इस युग में मनुष्य ने कृषि, पशुपालन और मिट्टी के बर्तन बनाना सीख लिया था जो वर्तमान भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, और श्रीलंका के क्षेत्रों में फैला हुआ था। दुनिया के अन्य भागों की तरह दक्षिण एशिया में नवपाषाण, मध्यपाषाण और पुरापाषाण युग युग के कालानुक्रमिकता की सटीक सीमायें नहीं मिलती; इसके स्थान पर विभिन्न पुरातात्विक स्थलों पर पाये गए उपकरणों और कलाकृतियों के आधार पर तकनिकी एवं सांस्कृतिक विकास के व्यापक चरणों का वर्णन मिलता है।[1]
दक्षिण एशिया में पुरापाषाण युग की शुरूआत 26 लाख वर्ष पहले हुई थी; यह जानकारी होमिनि गतिविधियों के अनुसार सबसे पुराने ज्ञात स्थलों अर्थात् उत्तर-पश्चिमी भारत के शिवालिक पहाड़ियों पर आधारित है।[2]
सन्दर्भ
- ↑ कोनिन्घम, रॉबिन (2015). The Archaeology of South Asia: From the Indus to Asoka [दक्षिण एशिया का पुरातत्व: सिंधु से अशोक तक, लगभग 6500 ईसा पूर्व-200 ई॰पू॰] (अंग्रेज़ी में). कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस. पृ॰ 106–107. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-521-84697-4.
- ↑ डम्ब्रिकौर्ट मालासे, ऐनी; मोइग्ने, ऐनी-मैरी; सिंह, मुकेश; कैलिगारो, थॉमस; करीर, बलदेव; गैलार्ड, क्लेयर; कौर, अमनदीप; भारद्वाज, विप्नेश; पाल, सुरिंदर; अब्देसादोक, सलाह; चपोन साओ, सेसिल; गार्गानी, जूलियन; टुड्रिन, एलिना; गार्सिया सान्ज़, मिगुएल (2016). "Intentional cut marks on bovid from the Quranwala zone, 2.6 Ma, Siwalik Frontal Range, northwestern India". कॉम्पटेस रेंडस पेलेवोल (फ़्रेंच में). 15 (3–4): 317–339. डीओआइ:10.1016/j.crpv.2015.09.019. बिबकोड:2016CRPal..15..317D.