बनारस रेल इंजन कारखाना
कंपनी प्रकार | सरकारी |
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उद्योग | रेलवे |
पूर्ववर्ती | डीजल रेल इंजन कारखाना |
स्थापित | १९६१ |
स्थापक | भारतीय रेल |
मुख्यालय | वाराणसी , भारत |
उत्पाद | रेल इंजन |
वेबसाइट | बनारस रेल इंजन कारखाना |
बनारस रेल इंजन कारखाना (अंग्रेज़ी:Banaras Locomotive Works), (पूर्व नाम: डीजल रेल इंजन कारखाना) वाराणसी में स्थापित भारतीय रेल का रेल इंजन निर्माण का कारखाना है।
इतिहास
अगस्त १९६१ में डीजल-विद्युत रेल इंजन निर्माण हेतु एल्को-अमेरिका के सहयोग से "डीजल रेल इंजन कारखाने" की स्थापना हुई। जनवरी 1964 में प्रथम रेल इंजन का निर्माण कर राष्ट को समर्पित किया गया। जनवरी 1976 निर्यात बाजार में प्रवेश हुआ और प्रथम रेल इंजन तंजानिया को निर्यात किया गया। इसके बाद दिसम्बर 1977 में प्रथम डीजल जनित सेट का कमीशन किया गया। अक्टूबर 1995 में अत्याधुनिक माइक्रोप्रोसेसर नियंत्रित, एसी-एसी डीजल इलेक्टिक रेल इंजनों के निर्माण हेतु जनरल माटर्स, अमेरिका के साथ समझौते किया गया। इसके बाद फरवरी 1997 में अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आई.एस.ओ) ९००२ प्रमाण पत्र प्राप्त किया। मार्च २००१ में आई एस ओ 14001 प्रमाण पत्र मिला।[1] मार्च २००२ में कारखाने में निर्मित जनरल मोटर्स डिजाइन के माइक्रोप्रोसेसर नियंत्रित ४००० अश्व शक्ति के प्रथम रेल इंजन का लोकार्पण किया गया। सितम्बर २००५ ओहसास 18001:1999 द्वारा प्रमाणित हुआ। नवम्बर २००६ प्रथम आई जी बी टी आधारित रेल इंजन का निर्माण किया गया। इसके बाद अगस्त २००७ में तत्कालीन रेल मंत्री श्री लालू प्रसाद द्वारा जी बी टी श्रेणी के "नटराज" रेल इंजन का लोकापर्ण किया। मार्च २००८ को सर्वाधिक २२२ रेल इंजनों का उत्पादन दर्ज हुआ।[1] कारखाने ने मार्च 2019 में डीजल इंजनों का निर्माण बंद कर दिया और अक्टूबर 2020 में इसका नाम बदलकर "बनारस रेल इंजन कारखाना" कर दिया गया।
कर्मचारी आन्दोलन
कारखाने में विभिन्न मांगों को लेकर कई बार छोटे-बडे आंदोलन हुए हैं लेकिन इनमें से दो आंदोलन काफी महत्व पुर्ण है –
- सन् 1971 का आंदोलन, जो कि देश भर में हुए रेलवे हडताल के साथ हुआ था।
- दिनांक 10 नवम्बर 2009 से 14 नवम्बर 2009 तक काम रोको हडताल। ये हडताल कारखाने में हो रहे भ्रष्टाचार व भ्रष्टांचारी अधिकारियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की मांग व कारखाने से आउटसोर्सिंग रोकने को लेकर हडताल हुई थी। कर्मचारियों की यह भी मांग थी कि खाली बैठे हुए कर्मचारियों को काम दिया जाये तथा कर्मचारियों को खाली न बैठाकर उनसे काम लिया जाये तथा जो काम कर्मचारियों से छिनकर कुछ अज्ञात कारणों व फायदो के कारण निजी क्षेत्र में दिया जा रहा है उसे वापस कर्मचारियों से कराया जाये। प्रशासन ने अपनी गलतियों को छिपाने के लिए कुछ कर्मचारियों के खिलाफ अत्यन्त दमनकारी कार्यवाही कर रही है तथा यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया कि भविष्य में कभी भी कोई कारखाने में हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज न उठा सके। इस कार्य में सभी कर्मचारी बिना किसी युनियन के बैनर तले स्वयं लडे तथा रेलवे के सभी युनियनों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए प्रशासन का साथ दिया।
उत्पादन
इंजन | संख्या[2] |
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डब्ल्यू.डी.ऍम. 2 | 2700 |
डब्ल्यू.डी.ऍम.3A | 158 |
डब्ल्यू.डी.ऍम.3D | 344 |
डब्ल्यू.डी.ऍम.7 | 15 |
डब्ल्यू.डी.पि.1 | 69 |
डब्ल्यू.डी.पि.3A | 69 |
डब्ल्यू.डी.पि.4 | 102 |
डब्ल्यू.डी.पि.4B | 90 |
डब्ल्यू.डी.जी.3A | 198 |
डब्ल्यू.डी.जी.4 | 431 |
डब्ल्यू.डी.जी.4D | 240 |
डब्ल्यू.ए.पि.7 | 1070 |
डब्ल्यू.ए.जी.9 | 1848 |
कुल योग | 7334 |
इन्हें भी देखें
सन्दर्भ
- ↑ अ आ संक्षिप्त इतिहास Archived 2021-02-04 at the वेबैक मशीन- ब.रे.का जालस्थल पर
- ↑ लोको उत्पादन Archived 2021-02-04 at the वेबैक मशीन- ब.रे.का
बाहरी कड़ियाँ
Banaras Locomotive Works से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- आधिकारिक जालस्थल Archived 2020-11-14 at the वेबैक मशीन