लान ज़ांग साम्राज्य
लान साङ्ग साम्राज्य (1353–1707) दक्षिणपूर्व एशिया के आधुनिक लाओस क्षेत्र में एक प्रभावशाली और ऐतिहासिक साम्राज्य था। इस साम्राज्य की स्थापना 14वीं शताब्दी में फा न्गुम नामक राजकुमार ने की थी। लान साङ्ग का अर्थ "दस लाख हाथियों का साम्राज्य" है, जो इसकी शक्ति और गौरव का प्रतीक था।
लान साङ्ग साम्राज्य ລ້ານຊ້າງ | |
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1353–1707 | |
Status | साम्राज्य |
राजधानी | लुआंग प्रबांग (1353–1560), विंतियाने (1560–1707) |
आधिकारिक भाषाएँ | लाओ भाषा |
धर्म | थेरवाद बौद्ध धर्म |
सरकार | राजतंत्र |
राजा | |
• 1353–1373 | फा न्गुम (पहला राजा) |
• 1638–1695 | सोलिनावोंगसा (अंतिम महान राजा) |
इतिहास | |
• साम्राज्य की स्थापना | 1353 |
• राजधानी का स्थानांतरण | 1560 |
• विभाजन | 1707 |
मुद्रा | रजत सिक्के |
अब जिस देश का हिस्सा है | लाओस |
उत्पत्ति और स्थापना
लाओ लोगों के पूर्वज ताई-भाषी जनजातियों के एक बड़े समूह का हिस्सा थे, जो लगभग दूसरी सहस्राब्दी के आरंभ में चीन-वियतनाम सीमा के क्षेत्र से प्रवास करते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया में बसे। इन जनजातियों ने कई छोटे-छोटे मुआंग (राज्य) स्थापित किए, जिनमें से एक लुआंग प्रबांग के निकट था। फा न्गुम, जो अंगकोर साम्राज्य में निर्वासन में थे, 1353 में लाओस लौटे और इन मुआंगों को एकजुट कर लान साङ्ग साम्राज्य की स्थापना की।[1]
फा न्गुम के शासनकाल के दौरान, लान साङ्ग ने थेरवाद बौद्ध धर्म को अपनाया, जिसे उनकी कंबोडियाई रानी के माध्यम से साम्राज्य में लाया गया। यह भी संभव है कि यह धर्म ताई-भाषी समुदायों और मुन जातियों के माध्यम से पहले से ही इस क्षेत्र में मौजूद था।[2]
विकास और विस्तार
1500 ईस्वी तक, लान साङ्ग साम्राज्य के शासकों का मुख्य उद्देश्य अपने क्षेत्र को मजबूत करना और बाहरी आक्रमणों से बचाव करना था। 16वीं और 17वीं शताब्दियों में साम्राज्य ने स्थायित्व और समृद्धि का काल देखा। इस अवधि में फोति-सलात, सेत्थाथिलात और सोलिनावोंगसा जैसे शक्तिशाली राजाओं ने दीर्घकाल तक शासन किया।[3]
लान साङ्ग साम्राज्य का क्षेत्र मेकोंग नदी के दोनों ओर विस्तारित था और आज के थाईलैंड के उत्तरपूर्वी भाग को भी शामिल करता था। हालांकि, इस क्षेत्रीय प्रभुत्व को पड़ोसी साम्राज्यों, जैसे अयुध्या (सियाम) और लन्ना थाई के साथ संघर्षों का सामना करना पड़ा।[3]
बाहरी खतरे और राजधानी का स्थानांतरण
16वीं शताब्दी के मध्य में बर्मी साम्राज्य का विस्तार लान साङ्ग के लिए एक बड़ा खतरा बन गया। बर्मा ने लन्ना थाई पर नियंत्रण कर लिया और इस क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाने का प्रयास किया। इन खतरों से बचने के लिए, राजा सेत्थाथिलात ने राजधानी को लुआंग प्रबांग से विंतियाने स्थानांतरित कर दिया, जो रणनीतिक दृष्टि से अधिक सुरक्षित था।[1]
स्वर्ण युग और पतन
सोलिनावोंगसा का 17वीं शताब्दी का शासनकाल लान साङ्ग साम्राज्य के लिए स्वर्ण युग माना जाता है। इस समय, साम्राज्य क्षेत्रीय व्यापार मार्गों से जुड़ा हुआ था और यूरोपीय व्यापारियों व मिशनरियों के संपर्क में आया। हालांकि, यह विदेशी हस्तक्षेप से बचने में सक्षम रहा।[2]
1688 में सोलिनावोंगसा की मृत्यु के बाद, लान साङ्ग राजनीतिक संघर्ष और विभाजन का शिकार हो गया। साम्राज्य के भीतर सत्ता के लिए संघर्ष और आंतरिक कलह के कारण यह चार अलग-अलग राज्यों – लुआंग प्रबांग, विंतियाने, चंपासाक और ज़िअंग खुआंग – में विभाजित हो गया।[3]
उपनिवेशवाद और आधुनिक महत्व
19वीं शताब्दी के अंत तक, फ्रांस ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित किया और लाओस के विभिन्न हिस्सों को अपने उपनिवेश में शामिल कर लिया। लान साङ्ग साम्राज्य का ऐतिहासिक महत्व आज भी बना हुआ है। यह आधुनिक लाओस राष्ट्र के निर्माण का आधार माना जाता है और इसकी विविध सांस्कृतिक धरोहरों में योगदान देता है।[1]
निष्कर्ष
लान साङ्ग साम्राज्य, जो "दस लाख हाथियों का साम्राज्य" कहलाता था, दक्षिणपूर्व एशिया में एक महत्वपूर्ण शक्ति था। हालांकि यह आधुनिक दृष्टि से बहुत बड़ा साम्राज्य नहीं था, लेकिन इसका सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रभाव लाओस की समृद्ध परंपराओं और इतिहास में स्पष्ट रूप से झलकता है।[3]
संदर्भ
सन्दर्भ की झलक
- ↑ अ आ इ "Lan Xang | Theravada Buddhism, Khmer Empire, Siamese Invasion | Britannica". www.britannica.com (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-24.
- ↑ अ आ "The Lao Kingdom of Lan Xang : rise and decline | WorldCat.org". search.worldcat.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2025-01-24.
- ↑ अ आ इ ई Lockhart, Bruce M. (2016), "Lan Xang Kingdom (early Laos)", The Encyclopedia of Empire (अंग्रेज़ी में), John Wiley & Sons, Ltd, पपृ॰ 1–2, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-118-45507-4, डीओआइ:10.1002/9781118455074.wbeoe154, अभिगमन तिथि 2025-01-24