समान्तर कोश

समान्तर कोश शब्दकोश के ही समान सन्दर्भ पुस्तक को कहा जाता है जिसमें शब्दों के अर्थ व उच्चारण की बजाय उसके समानार्थक तथा विलोम शब्दों व उनके प्रयोग पर जोर दिया जाता है। शब्दकोश की भाँति समान्तर कोश में शब्दों को पारिभाषित नहीं किया जाता वरन् समान शब्दों में भेद स्पष्ट कर सटीक शब्द के चुनाव को आसान बनाया जाना इसका ध्येय होता है। अतः समान्तर कोश को शब्दसूची नहीं समझा जाना चाहिये।

हिन्दी का पहला समान्तर कोश बनाने का श्रेय अरविन्द कुमार व उनकी पत्नी कुसुम को दिया जाता है।

समान्तर कोश व थिसॉरस अपनी अर्थपूर्ण एवम भाषाई तकनीक के साथ डिजिटल दुनिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा हैं। यह अपनी सार्थक क्षमताओं के साथ फुल टेक्स्ट इनफ़ोर्मेशन रिट्रीवल सिस्टम को और भी समर्थ बनाने में योगदान देता है।[1]

इन्हें भी देखें

बाहरी कड़ियाँ

सन्दर्भ की झलक

  1. Aitchison, J. Bawden, D. Bawden, and Gilchrist, A.(2002). Theasurus Construction and use: A Practical Manual. London: Aslib।