महापद्म नन्द

महापद्म नन्द
महापद्म नन्द के सिक्के (१ कार्षापण)
कार्षापण का एक चाँदी का सिक्का जो महापद्म नन्द या उसके पुत्रों द्वारा प्रवर्तित किया गया था। (345-321 ईसापूर्व)
प्रथम नन्द सम्राट
शासनावधिल. 345
पूर्ववर्तीमहानन्दि
उत्तरवर्तीधन नन्द
संतान
  • धन नन्द
  • पण्डूक नन्द
  • पाण्डुगति नन्द
  • भूतपाल नन्द
  • राष्ट्रपाल नन्द
  • गोविशंकर नन्द
  • दशसिद्धक नन्द
राजवंशनन्द राजवंश
पितामहानन्दि
माताएक रानी
३२५ ई० के आसपास नन्द साम्राज्य का विस्तार

महापद्म नंद (लगभग ३२९ ई०) नन्द वंश भारत के प्रथम सम्राट थे। पुराणों तथा विशाखदत्त के मुद्राराक्षस के अनुसार वह एक शिशुनागवंशी महामंदी के पुत्र थे। पुराणों में इन्हें 'महापद्म' तथा महाबोधिवंश में 'उग्रसेन' कहा गया है। अपने प्रताप के कारण ही उन्हें इतिहासकारों द्वारा “सर्वक्षत्रांतक” और “एकराट” की उपाधि से विभूषित किया गया है।

महापद्मनन्द को “केंद्रीय शासन पद्धति” का जनक भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने काशी, कौशल, शूरसेन, वज्जि, मल्ल, अवनीत, चेदि, वत्स, अंक, मगध, कुरु पांचाल, गंधार, कंबोज, अश्मक एवं कलिंग जैसे विशाल जनपदों को जीतकर एक सुदृढ़ केंद्रीय प्रशासन की नींव रखी थी।

महापद्म नन्द के प्रमुख राज्य उत्तराधिकारी हुए हैं- उग्रसेन, पंडूक, पाण्डुगति, भूतपाल, राष्ट्रपाल, योविषाणक, दशसिद्धक, कैवर्त, धनानन्द। इसके शासन काल में यूनानी आक्रमणकारी सिकन्दर ने भारत पर आक्रमण किया था। सिकन्दर के भारत से जाने के बाद मगध साम्राज्य में अशान्ति और अव्यवस्था फैली।

पुराणों में महापद्म नन्द

विष्णु पुराण

महानंद का पुत्र शूद्र या दास वर्ग की स्त्री से उत्पन्न होगा; उसका नाम नन्द होगा, जिसे महापद्म कहा जाएगा, क्योंकि वह अत्यधिक लोभी होगा। दूसरे परशुराम की तरह, वह क्षत्रिय जाति का विनाशक होगा; क्योंकि उसके बाद पृथ्वी के राजा शूद्र होंगे। वह पूरी पृथ्वी को एक छत्र के नीचे लाएगा: सुमाल्य अदि उसके आठ पुत्र होंगे जो महापद्म के बाद शासन करेंगे; और वह और उसके पुत्र सौ वर्षों तक शासन करेंगे। ब्राह्मण कौटिल्य नौ नंदों को जड़ से उखाड़ फेंकेगा। -- विष्णु पुराण, अध्याय २४

भागवत महापुराण

हे पराक्रमी कुरु, कलियुग में वे इतने समय तक पृथ्वी का भोग करेंगे। महानंदी का पुत्र एक शूद्र महिला के गर्भ से उत्पन्न होगा और एक पराक्रमी राजा होगा। वह एक नंद होगा, जो महापद्म (कोष) का स्वामी और क्षत्रियों का संहारक होगा। उसके बाद, सभी राजा शूद्रों की तरह बुरे और अधार्मिक होंगे। भृगु वंशी परशुराम की तरह, महापद्म पूरी पृथ्वी पर एकछत्र राज करेगा और उसकी आज्ञा का कभी कोई उल्लंघन नहीं करेगा। पारंपरिक रूप से बताया जाता है कि महापद्म के आठ पुत्र होंगे जिनमें सुमाल्य प्रमुख था। ये राजा एक सौ साल तक इस पृथ्वी का भोग करेंगे। -- श्रीमद्भागवत अध्याय १, पुस्तक 12

ब्रह्माण्ड पुराण

शूद्र स्त्री से उत्पन्न महानंदी का पुत्र काल के प्रभाव से राजा बनेगा। (वह) महापद्म कहलायेगा। वह सभी क्षत्रियों का संहारक होगा। उसके बाद, भविष्य के सभी राजा शूद्र गर्भ से पैदा होंगे। महापद्म महान शक्ति वाला एक शासक होगा, एकमात्र सम्राट। वह अट्ठासी वर्षों तक शासन करेगा। उसके बाद, उसके आठ पुत्र महापद्म के परिवार में, यथाक्रम बारह वर्षों तक राजा होंगे। -- ब्रह्माण्ड पुराण, अध्याय ७४, उपोद्घाट-पाद

मत्स्य पुराण

तब कलि के अवतार के रूप में शूद्र स्त्री से महानंदी का पुत्र महापद्म जन्म लेगा, और वह क्षत्रिय राजाओं का संहारक होगा। तत्पश्चात सभी राजा शूद्र वंश के होंगे। वह महापद्म एकमात्र सम्राट और एक विश्व सम्राट होगा। वह इस पृथ्वी पर 88 वर्षों तक राज्य करेगा। वह अपनी महत्वाकांक्षा के कारण सभी क्षत्रियों का संहार कर देगा। सुकल्प से आरंभ करके उसके आठ पुत्र 12 वर्षों तक राजा रहेंगे। वे महापद्म के बाद एक के बाद एक राजा बनेंगे। 12 वर्षों के दौरान कौटिल्य इन सभी पुत्रों का सफाया कर देगा। -- मत्स्य पुराण, अध्याय 22

वायु पुराण

महापद्म महानंदिन की शूद्र पत्नी से उत्पन्न होंगे। वे सभी क्षत्रियों के राजा होंगे। तत्पश्चात सभी भावी राजा शूद्र योनियों से उत्पन्न होंगे। महापद्म एकमात्र शासक होंगे, जिनके पास एकछत्र राज होगा। वे अट्ठाईस वर्षों तक पृथ्वी पर शासन करेंगे। अपरिहार्य भावी की शक्ति के कारण वे सभी क्षत्रियों का नाश कर देंगे। उनके पुत्र हजार होंगे। आठ वर्षों तक उनमें से बारह राजा बनकर शासन करेंगे। महापद्म के बाद वे क्रमशः राजा बनेंगे। कौटिल्य उन सभी को सोलह की शक्ति द्वारा नष्ट कर देगा। -- वायु पुराण, अध्याय 37, खण्ड 3

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ